Panchkalyan Pratishtha Mahotsav


















Garbh Kalyaanak Mahotsav- 17 February 2025
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प्रातः 6:00 बजे: जिनेन्द्र अभिषेक, शांतिधारा, नित्यार्चना, पूजा, गर्भ कल्याणक पूजा विधान ।
प्रातः 7:30 बजे: शांति हवन ।
प्रातः 8:00 बजे : तीर्थकर माता का जागरण, माता का स्नान, श्रृंगार, जिनेन्द्र दर्शन महाराज के भवन में जिनमाता व कुमारिकाओं का आगमन माता पिता वार्ता एवं 16 स्वप्न विवेचना एवं स्वप्न फल ।
प्रातः 9:00 बजे: आचार्य श्री ससंघ प्रतिष्ठा मंडप मे आगमन, धर्म सभा, मंगलाचरण, चित्र अनावरण, द्वीप प्रज्जवलन, पूर्वाचार्यो का अर्थ ।
प्रातः 9:15 बजे : गुरू पाद पूजा, जिनवाणी भेट, अर्घ्य ।
प्रातः 9:20 बजे: आचार्य श्री का प्रवचन एवं आशीर्वाद
प्रातः 10:15 बजे प्रतिष्ठा मंडप से जिनालय तक 81 कलशों की शोभायात्रा (सौ. महिलाओ व कुमारिकाओ की यात्रा) ।
प्रातः 11:00 बजे: वेदी का लोकार्पण ।
प्रातः 11:15 बजे : वेदी जिनालय शुध्धि, शिखर अभिषेक, प्रतिष्ठा आच्छादन
जिनालय में मूलनायक भगवान के जिनबिंब की आकार शुध्धि, यागमण्डल विधान, गर्मोत्सव सीमन्त संस्कार, गर्भ कल्याणक पूजन, हवन, आदि कार्यक्रम (जिनालय में)
दोपहर 12:30 बजे प्रतिष्ठा मंडप में शांतिनाथ महामण्डल विधान
दोपहर 2:00 बजे: माता की गोद भराई
सायं 4:00 बजे: आचार्य श्री ससंघ आगमन, आर्शीवाद प्रवचन
रात्री 4:30 बजे: सायं कालीन शोभायात्रा
रात्री 6:30 बजे: जिनेन्द्र आरती, प्रभु भक्ति
रात्री 7:30 बजे: शास्त्र स्वाध्याय
रात्री 8:00 बजे: सौधर्म इन्द्र की सभा, प्रश्नोत्तर, इन्द्र परिकर का हस्तिनापुर के लिये प्रस्थान
महाराजा की सभा : इन्द्रो का हस्तिनापुर में अभिनन्दन इन्द्रो द्वारा माता-पिता को बधाई भेंट कुमारिकाओं द्वारा माता की सेवा, बधाई, गूढ प्रश्न उत्तर

Janm Kalyanak- 18 February 2025
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प्रातः 6:00 बजे : जिनेन्द्र अभिषेक, शांतिधारा, नित्यार्चना, पूजा ।
प्रातः 7:00 बजे: शांति हवन ।
प्रातः 7:30 बजे: सौधर्म इन्द्र की सभा, आसन कम्पायमान, जन्मोत्सव, अवधिज्ञान, नमस्कार, सौधर्म-शची संवाद, जन्म की घोषणा, स्वर्गपुरी में आनन्द उत्सव, कुबेर का आगमन, सौधर्म कुबेर वार्ता, ऐरावत रचना, सौधर्म का देव सेना के साथ हस्तिनापुर के लिये प्रस्थान ।
प्रातः 8:30 बजे: महाराज विश्वसेन का राजदरबार, बधाई
प्रातः 8:45 बजे : सौधर्म का नगरी की तीन परिक्रमा एवं राजमहल के द्वार पर आगमन
सौधर्म शची वार्ता, शची का अन्तपुर भवन जाना तिर्थकर बालक को लाने के लिये
शची का तिर्थकर बालक को लेकर आना सौधर्म शची का लेन देन व तिर्थकर बालक को सौधर्म इन्द्र को सोपना 1000 नेत्रो से देखना स्वर्ण सौभाग्यवती द्वारा जिनबिंब शुद्धि, धूमि कलशाभिषेक, औषधि आदि दिव्य कलशो से शुब्धि । जिनालय में मूलनायक जन्म कल्याणक की विधी एवं शुष्धि ।
प्रातः 9:00 बजे : धर्म सभा, मंगलाचरण, चित्र अनावरण, द्वीप प्रज्जवलन, आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेट, पूजा, अर्घ्य ।
प्रातः 9:40 बजे : आचार्य श्री के प्रवचन एवं आशीर्वाद
प्रातः 10:30 बजे जन्म कल्याणक शोभायात्रा
दोपहर 12:15 बजे : पाण्डुक शिला पर अभिषेक ।
दोपहर 2:00 बजे: प्रतिष्ठा मंडप में तीर्थकर बालक का श्रृंगार, वस्त्राभूषण, कर्णविधि, नामकरण, अमृत स्थापना सौधर्म द्वारा तीर्थकर बालक को माता-पिता को सौपना, तीर्थकर रक्षार्थ 4 लोकपाल स्थापना
सायं 4.00 बजे: आचार्य श्री का ससंघ आगमन व जन्मातिशय स्थाना प्रवचन जिनालय में मूलनायक की श्रृंगार, संस्कार, नामकरणादि, जन्म कल्याणक पूजन, हवनादि
सायं 4:30 बजे: सायं कालीन शोभायात्रा ।
सायं 6:30 बजे: जिनेन्द्र आरती, भक्ति ।
रात्री 7:30 बजे: शास्त्र स्वाध्याय ।
रात्री 8:00 बजे : माता-पिता के आंगन में सौधर्म द्वारा तांडव नृत्य, आनन्द वृतन,
चक्रायुध जन्म की घोषणा, बधाई
रात्री 8:35 बजे : पालना झुलाना ।
रात्री 9:00 बजे : बाल क्रिड़ा, शांतिनाथ, चक्रायुध व देव कुमारों के साथ ।
रात्री 10:00 बजे : पुनः पालना झूलाना (बाकी पात्रो व जनता द्वारा)

Diksha Kalyanak- 19 February 2025
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प्रातः 6:00 बजे : जिनेन्द्र अभिषेक, शांतिधारा, नित्यार्चना, पूजा ।
प्रातः 7:30 बजे: शांति हवन ।
प्रातः 8:00 बजे: महाराजा की सभा, कुबेर द्वारा भोगोपभोग सामग्री लाना, तीर्थकर बाल कुमार के चरणों में स्थापना, अविद्यात्व की स्थापना, महाराजा द्वारा युवराज पद घोषणा शांतिनाथ, चक्रायुध की वार्ता, बलदान सगाई
प्रातः 9:15 बजे : आचार्य श्री ससंघ आगमन, चित्र अनावरण, द्वीप प्रज्जवलन, आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेट, पूजा, अर्घ्य ।
प्रातः 9:30 बजे: आचार्य श्री के प्रवचन एवं आशीर्वाद
प्रातः 10:15 बजे प्रातः कालीन शोभायात्रा
दोपहर 12:15 बजे : शांतिनाथ व चक्रायुध का विवाह द्रश्य ।
दोपहर 1:00 बजे: महाराजा विश्वसेन की राजसभा, सन्तानोत्पति, महायज्ञनायक, सेनापति संवाद राज्याभिषेक चर्चा, मुर्हत, 32 मुकुटबद्ध राजाओं का आगमन व भेंट, राज्याभिषेक, राज्यव्यवस्था, न्यायदंड व्यवस्था आयुध शाला में चक्र रत्न की उत्पति, प्रहरी द्वारा सूचना, चक्रवर्ती दिग्विजय यात्रा, चक्रवर्ती सम्राटाभिषेक जन्मोत्सव, वैराग्य प्रसंग, वैराग्य
दोपहर 3:00 बजे : लौकांतिक देवो का आना, वैराग्य प्रसंग
दोपहर 3:40 बजे : ज्येष्ठ पुत्र नारायण को राज्याभिषेक, राज तिलक सौधर्म द्वारा पालकी का लाना, महाराजा शांतिनाथ का पालकी में बैठना माता-पिता परिजनो द्वारा रोकना, सौधर्म आदि इन्द्रो व राजाओ का पालकी पर संवाद
सायं 4.00 बजे: आचार्य श्री द्वारा समाधान व वन विहार दिक्षा विधि
सायं 4:30 बजे: सायं कालीन शोभायात्रा ।
सायं 5:00 बजे: मंदिर में मूलनायक भगवान की दिक्षा विधि ।
सायं 6:30 बजे: जिनेन्द्र आरती
रात्री 7:30 बजे: शास्त्र स्वाध्याय ।
रात्री 8:00 बजे : ज्येष्ठ पुत्र नारायण महाराजा चक्रधर को युवराज पद की घोषणा नारायण का राज्य व राज्य व्यवस्थाएँ
रात्री 8:30 बजे : सांस्कृतिक कार्यक्रम

Gyaan Kalyanak- 20 February 2025
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प्रातः 6:00 बजे: जिनेन्द्र अभिषेक, शांतिधारा, नित्यपूजा, दिक्षा कल्याणक विधान पूजा ।
जिनालय में तप कल्याणक पूजन, हवन, ज्ञान कल्याणक विधि, सूरिमंत्र, ज्ञान कल्याणक पूजन एवं हवन
प्रातः 8:00 बजे: शांति हवन ।
प्रातः 8:30 बजे: आचार्य श्री ससंघ आगमन, मंगलाचरण, चित्र अनावरण, द्वीप प्रज्जवलन, आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन, जिनवाणी भेट, पूजा, अर्घ्य ।
प्रातः 8:45 बजे : धर्मसभा, आचार्य श्री के प्रवचन एवं आशीर्वाद
प्रातः 9:30 बजे : तीर्थकर महामुनिराज की आहार चर्या व पंचाश्चर्य
दोपहर 12:30 बजे: ज्ञान कल्याणक की अभ्यंतर क्रियाएँ, अंकन्यास, मुखोद्घाटन, न्यनोनमीलन, सूरिमंत्र आदि, ज्ञान कल्याणक अभिषेक, शांतिधारा ।
दोपहर 3:30 बजे: केवलज्ञान व समवशरण पट्टोद्वाटन 46 दिपको से महाआरती समवशरण रचना, देवागम, तिर्यच मनुष्य सभा
सायं 4:00 बजे : दिव्य देशना, प्रथम श्रोता द्वारा प्रश्न, अन्य प्रश्नोत्तर
सायं 4:30 बजे: सायं कालीन शोभायात्रा
सायं 6:30 बजे: मंगला आरती, प्रभु भक्ति
रात्री 7:30 बजे : शास्त्र स्वाध्याय
रात्री 8:00 बजे: आवश्यक बोलिया, सम्मान समारोह
रात्री 9:00 बजे : सांस्कृतिक सन्ध्या

Moksh Kalyanak- 21 February 2025
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प्रातः 6:00 बजे : जिनेन्द्र अभिषेक, शांतिधारा, नित्यपूजा, ज्ञान कल्याणक विधान पूजा ।
प्रातः 7:00 बजे: सम्मेद शिखर से श्री जिनेन्द्र का मोक्ष गमन अग्निकुमार द्वारा अंतिम विधि ।
प्रातः 7:30 बजे: मोक्ष कल्याणक पूजा, विधान, निर्वाण लड्डु, जिनवाणी (सरस्वती) पूजा ।
प्रातः 8:00 बजे : सिद्ध पूजा, सिद्धत्व स्थापना, अष्टगुणरोपण ।
प्रातः 8:15 बजे : विश्व शांति महायज्ञ, पूर्णाहुति ।
प्रातः 9:00 बजे : पुण्याह्वाचन, शांतिपाठ, विसर्जन ।
प्रातः 9:30 बजे: क्षमा याचना, ध्वजारोहण विसर्जन ।
प्रातः 9:45 बजे : आचार्य श्री ससंघ आगमन, धर्म सभा, मंगलाचरण, चित्र अनावरण, द्वीप प्रज्जवलन, आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन, जिनवाणी भेट, गुरू पूजा, अर्घ्य ।
प्रातः 10:00 बजे: आचार्य श्री के प्रवचन एवं आशीर्वाद
प्रातः 11:00 बजे शोभायात्रा, प्रतिष्ठित जिन बिम्ब, जिनवाणी, कलश, मंगल कलशो सहित ।
प्रातः 11:36 बजे : अभिनित् वेलायाम्, जिनालय, लाकार्पण (द्वार उद्घाटन)।
प्रातः 11:45 बजे : मूलनायक जिन बिम्ब, अन्य जिन बिम्बकी स्थपना, मानस्तम्भ जिन बिम्ब स्थापना,
धरणेन्द्र-पदमावती यक्ष-यक्षी बिम्ब स्थापना, जिनवाणी स्थापना आदि।
दोपहर 12:15 बजे शिखर स्वर्ण कलश, ध्वजदण्ड स्थापना ।
ABOUT THE EVENT
Panchkalyan Pratishtha Mahotsav: Celebrating the Divine Milestones of Jain Tirthankars Nurture Your Soul
Panchkalyan Pratishtha Mahotsav is a significant and sacred festival in Jainism. It celebrates the key events in the life of a Tirthankar (Jain spiritual teacher) and honors their teachings. The term "Panchkalyan" refers to the five auspicious events in the life of a Tirthankar. These events are commemorated with devotion, rituals, and grand celebrations.
Peace and Enlightenment
Jain saints attending from across INDIA












































Serene Surroundings
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Panchkalyan Pratishtha Mahotsav
Honoring the Sacred Milestones of Jain Tirthankars
Panchkalyan Pratishtha Mahotsav is a grand and spiritually significant festival in Jainism, dedicated to celebrating the five auspicious events (Kalyanaks) in the life of a Tirthankar. These milestones—Conception, Birth, Renunciation, Omniscience, and Liberation—mark the spiritual journey of Tirthankars, who guide humanity toward salvation and enlightenment.
The festival involves elaborate rituals, devotional worship, and enlightening discourses that inspire devotees to reflect on the values of non-violence, truth, and purity. Temples and communities come alive with processions, artistic depictions of the Tirthankars’ lives, and collective prayers, making it a profound occasion for spiritual growth and cultural unity.
Janma Kalyanak (Birth)
This celebrates the birth of the Tirthankar. According to tradition, celestial beings descend to commemorate this divine event with grandeur. Ceremonies like anointing (abhishek), grand processions, and worship are held.
Moksha Kalyanak (Liberation)
This represents the liberation of the Tirthankar’s soul from the cycle of birth and death (samsara) and its attainment of eternal bliss (moksha). It is the ultimate goal in Jainism.

Conception
Celebrates the divine moment of a Tirthankar’s soul entering the mother’s womb, symbolizing purity and spiritual awakening.

Birth
Marks the auspicious arrival of the Tirthankar, honored with rituals, processions, and celestial celebrations.

Renunciation
Signifies the Tirthankar’s choice to renounce worldly attachments and embrace the path of spirituality.

Enlightenment
Commemorates the attainment of Keval Gyan (absolute knowledge), representing ultimate truth and wisdom.

Sacred Milestones
Panchkalyanak Mahotsav celebrates five divine events in a Tirthankar's life: Conception, Birth, Renunciation, Enlightenment, and Liberation. This festival inspires spiritual growth, devotion, and the pursuit of inner purity.
One Team, One Dream

Divine Journey
Panchkalyanak Mahotsav honors the spiritual milestones of Tirthankars, showcasing their path from birth to liberation. It inspires faith, devotion, and the values of truth and non-violence.

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